तो क्या आमचुनाव से पहले ही खुल जाएगी महागठबंधन की पोल, जानिये क्या है पूरा मांजरा?

आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में तमाम राजनीतिक पार्टियां जुट चुकी हैं, जिसके लिए पार्टियों ने जमीनी स्तर पर काम करना शुरू भी कर दिया है। आगामी आम चुनाव कांग्रेस बनाम बीजेपी नहीं, बल्कि महागठबंधन बनाम बीजेपी होगा। बीजेपी खेमे को हराने के लिए एंटी बीजेपी के तमाम दल आपस में गठबंधन करते हुए नजर आ रहे हैं, ऐसे में 2019 का मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है। महागठबंधन और बीजेपी दोनों के लिए 2019 का चुनाव जीतना आसान नहीं होगा, क्योंकि दोनों के सामने अलग अलग चुनौतियां है। 2019 के लिए विपक्ष जिस तरह से एकजुट हो रहा है, ठीक उसी तरह से पीएम मोदी ने चुटकी ली है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में आपके लिए क्या खास है?

महागठबंधन समेत पीएम मोदी ने कई विवादस्पद मुद्दे पर चुप्पी तोड़ते हुए बड़ा बयान दिया है। पीएम मोदी ने समाचार एजेंसी को इंटरव्यू देते हुए विपक्ष की कमर तोड़ दी है। पीएम मोदी ने इस इंटरव्यू में विपक्ष द्वारा उठाये गये तमाम विवादस्पद मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी है। पीएम मोदी ने आगामी चुनाव से पहले विपक्ष की एकजुटता पर जमकर चुटकी भी ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने विपक्ष की एकता पर बात करते हुए कहा कि महागठबंधन चुनाव से पहले टूटेगा या बाद में, ये देखने वाली बात होगी।

पीएम मोदी ने विपक्ष पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि ये गठबंधन देश के लिए नहीं, बल्कि अवसरवादी है, क्योंकि विरोधी पार्टियां सरकार की लोकप्रियता को लेकर इतनी ज्यादा आश्वस्त हैं कि उनमें अकेले लड़ने का साहस ही नहीं बचा है। गौरतलब है कि आगामी लोकसभा में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस तमाम क्षेत्रीय पार्टियोंं के साथ गठबंधन करने की बात कर रही है, जिसकी वजह बीजेपी विपक्ष को आड़े हाथों लेती हुई नजर आ रही है। 2019 के लिए होने वाला महागठबंधन चुनाव से पहले खत्म होगा या बाद में, ये वक्त ही बताएगा, लेकिन जानते हैं कि आखिर महागठबंधन का इतिहास क्या रहा है।

बिहार में टूट चुका है महागठबंधन

महागठबंधन में कितनी ताकत होती है, वो कितने लंबे समय तक चल सकती है, इसके लिए हमे ज्यादा समय पीछे जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि पिछले साल बिहार में हुई उथल पुथल ही इसको समझाने के लिए काफी है। 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने एकजुटता की ताकत से बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी। 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने बिहार हार की कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन महागबंधन के आगे बीजेपी को घुटने टेकने ही पड़े थे।

बिहार में बीजेपी को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस, जदयू और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। चुनाव जीतने के बाद जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को सीएम बनाया गया है। महागठबंधन ने अपनी इस जीत का जश्न जोरो से मनाया था और महागठबंधन की यह सरकार दो साल तक काफी अच्छे से चली, लेकिन 26 जुलाई, 2017 को अचानक ही नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद बिहार में जबदरस्त सियासी भूचाल देखने को मिला था। आनन फानन में नीतीश ने जदयू का साथ छोड़ते हुए एनडीए का दामन थाम लिया, जिसके बाद फिलहाल बिहार में बीजेपी और जेडीयू की सरकार है।

बिहार में जिस तरह से महागठबंधन कुछ समय में ही बिखर गई थी, उससे तो यही कहा जा सकता है कि आगामी लोकसभा में महागबंधन तो बनेगा, लेकिन सवाल यही उठता है कि आखिर ये कब तक बरकरार रहेगा, क्योंकि तमाम पार्टियां जोकि महागठबंधन का हिस्सा बनने वाली हैं, उनकी विचारधारा और सोच सभी पूरी तरह से अलग है, भले ही इन सबका मकसद बीजेपी को हराना हो।

विपक्ष और बीजेपी के सामने हैं ये बड़ी चुनौती

जहां एक तरफ बीजेपी के लिए 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना नाक का सवाल है तो वहीं विपक्ष के लिए अपना अस्तित्व बचाने का सवाल है। इन सबके बीच दोनों के सामने बड़ी चुनौतियां है। बीजेपी के लिए युवाओं और किसानों को अपनी तरफ कर पाना पहले की तरह आसान नहीं होगा, क्योंकि रोजगार और कृषि क्षेत्र में बीजेपी काफी हदतक असफल साबित हुई है, ऐसे में चुनाव से पहले युवाओं को अपने खेमे में करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है।

वहीं, अगर विपक्ष की चुनौतियों की बात करे, तो विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उनके पास कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है, जो विपक्ष का नेतृत्व कर सके। तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष का सरदार कौन होगा, इसको लेकर महागठबंधन मेंं काफी दरारे देखने को मिल सकती है, क्योंंकि अखिलेश, राहुल, मायावती, ममता और शरद यादव ये सभी खुद को दावेदार मानते हैं। इसके अलावा विपक्ष के सामने अपनी छवि को साफ रखने की भी काफी बड़ी चुनौती है।

बहरहाल, आगामी लोकसभा चुनाव में सियासी गलियारों में काफी ड्रामा देखने को मिल सकता है, क्योंकि जब कई विचाराधारा की पार्टियां एक साथ आएंगी, तो सियासी गलियारों में भूचाल और सुनामी दोनों ही देखने को मिल सकता है।

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