70 साल के इस किसान के जो किया जानकार आप भी करेंगे इसके जज़्बे को सलाम

भुवनेश्वर: आप जब छोटे रहे होंगे तो आपने भी किताबों में लोगों के साहस और जज़्बे की कई कहानियाँ पढ़ी सुनी होंगी। असल जीवन में भी हमारे आस-पास कई ऐसे लोग हैं, जिनके जज़्बे की कहानी सुनकर आपको यक़ीन नहीं होता है। ऐसे लोगों के बारे में सुनकर ऐसा लगता है जैसे यह असलियत नहीं बल्कि किसी फ़िल्म की कहानी हो। हमारे और आपके बीच कई तरह के लोग रहते हैं। अक्सर हम ऐसे लोगों को पहचान नहीं पाते हैं। दशरथ माँझी के बारे में किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है।

दशरथ माँझी ने पहाड़ तोड़कर सड़क बना दी थी। उस समय तो लोगों ने उनका ख़ूब मज़ाक़ उड़ाया था। लेकिन जब उन्होंने यह नामुमकिन जैसा दिखने वाला काम कर दिया तो पूरी दुनिया यह देखकर हैरान हो गयी थी। आज दशरथ माँझी हमारे बीच में भले ही ना हो लेकिन उनकी तर्ज़ पर ऐसा साहसिक काम करने वाले लोगों की कमी नहीं है। आज हम आपको एक ऐसे ही बहादुर और साहसी व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके साहस की कहानी जानकार आप भी इनके जज़्बे को सलाम करेंगे।

आपको बता दें ओडिशा में एक किसान ने अपनी मेहनत से गाँव में रहने वाले सैकड़ों लोगों की मुश्किलों को हमेशा के लिए दूर कर दिया है। जी हाँ 70 साल के दैत्री नायक ने तीन साल कड़ी मेहनत करके गाँव में एक किलो मीटर लम्बी नहर खोद डाली। यह सुनकर भले ही आपको यक़ीन ना हो रहा हो, लेकिन यह बिलकुल सच्ची घटना है। आपको जानकार हैरानी होगी कि जिस जगह पर दैत्री नायक ने नहर खोदी है वह इलाक़ा बहुत ही पथरीला है। गाँव वाले कई सालों से पानी की कमी से जूझ रहे थे।

दैत्री के इस कारनामे के बाद पानी की कमी से जूझ रहे गाँव के लोगों को रोज़मर्रा के काम और खेती के लिए अब काफ़ी मात्रा में पानी मिल सकेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें यह मामला ओडिशा के केन्दुझर जिले का है। यहाँ के बांसपाल, तेलकोई और हरिचंदपुर ब्लॉक में सिंचाई का कोई भी इंतज़ाम नहीं था। यहाँ के लोग पहले खेती के लिए बारिश के पानी के ऊपर नी निर्भर रहते थे। यहाँ तक की रोज़मर्रा के काम के लिए भी यहाँ के लोग तालाब का गंदा पानी इस्तेमाल करने के लिए मजबूर थे।

प्रशासन की तरफ़ से इस इलाक़े में पानी का कोई इंतज़ाम नहीं किया गया था। अपने इलाक़े की यह हालत देखकर बैतरणी गाँव के रहने वाले दैत्री नायक ने इलाक़े में पानी लाने की ठान ली। दैत्री ने अपने इस साहसिक काम के बारे में बताया कि, ‘मैंने इस नहर का काम अपने परिवार के साथ शुरू किया था। पानी लाने के लिए मैंने लगातार तीन सालों तक पहाड़ों को तोड़ा और खुदाई की। पत्थर हटाने में परिवार के लोगों ने मेरी मदद की। नहर खुदने के बाद पिछले महीने ही गाँव में पानी आ गया।’ यक़ीनन ऐसे लोगों के सह को देखकर और लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।

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