नीरजा भनोट: विवाह के बाद झेला दहेज़ का दबाव और खाई मार, जानिए इनसे जुड़े 10 रोचक तथ्य
हमारे भारत देश में बहुत साड़ी लड़कियों को शादी के बाद दहेज़ की बलि चढ़ा दिया जाता है या उन्हें तरह तरह की यातनायों को सहने के लिए मजबूर किया जाता है. इन्ही में से आज हम आपको एक ऐसी जांबाज़ लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी पूरी जिंदगी में दहेज़ का दबाव और मार सही लेकिन कभी जिंदगी से हार नहीं मानी. जी हाँ, यह कोई और नहीं बल्कि नीरजा भनोट थी. हाल ही में बॉलीवुड में सोनम कपूर ने नीरजा की बायोपिक में काम किया था. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट रही. गौरतलब है कि जीवन में इतनी ठोकरे खाने के बाद भी नीरजा भनोट ने अपनी लड़ाई जारी रखी और एक सफल अभिनेत्री के रूप में खुद को नई पहचान दी. चलिए जानते हैं इनकी जिंदगी से जुड़े ऐसे ही 10 मज़ेदार रोचक तथ्य-
नीरजा भनोट के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म 7 सितंबर 1963 में हुआ था. मिर्जा के पिता एक नामी गिरामी पत्रकार थे परंतु उनकी माता एक आम गृहणी थी. नीरजा के जन्म से पहले ही उनके मा बाप ने अपने होने वाले बच्चे का नाम “लाडो” सोच लिया था.
नीरजा ने 1955 में बिजनेसमैन के साथ शादी की परंतु लगातार दहेज की यातनाओं को सहने के कारण यह शादी 2 महीने से ज्यादा नहीं टिक पाई और आखिरकार दोनों ने एक दूसरे से तलाक ले लिया. खबरों की मानें तो उन्हें दहेज के लिए ससुराल द्वारा को प्रताड़ित किया जाता था.
बहुत सारी लड़कियां शादी टूटने के गम में हताश हो जाती हैं परंतु मिर्जा ने हार नहीं मानी और अपने करियर को बनाने की सोची. इसकी शुरुआत उन्होंने मॉडलिंग से की और कई कॉन्ट्रैक्ट पूरे किए. मॉडलिंग के बाद उन्होंने एक एयरलाइंस ज्वाइन की और वहां एंटरप्राइजेज का कोर्स भी खत्म किया. नीरजा 823 शादीशुदा लड़कियों के लिए एक प्रेरणा की तरह साबित हो रही है कि अपने जीवन में लाख बार गिरने बाद भी हार नहीं माननी चाहिए.
एक हवाई सफर के दौरान 5 सितंबर 1986 को उनकी फ्लाइट पैन एम 73 को हाइजैक कर लिया गया. अपने साथ-साथ अन्य लोगों की जान का खतरा पाकर भी मिर्जा ने हार नहीं मानी और पूरी हिम्मत दिखाई. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस दिन उनका प्लेन हाईजैक किया गया, उसी दिन उनका 23 वां जन्मदिन था.
सबसे अधिक बहादुर
प्लेन को हाइजैक होने के बाद नीरजा ही एकमात्र ऐसी लड़की थी जिसने सभी यात्रियों के बीच हिम्मत बनाए रखें और 17 घंटे कि लंबे समय के बाद आतंकवादियों को मारना शुरू कर दिया साथ ही उसने अमरजनसी के दरवाजे खोल कर लोगों को राहत पहुंचाई.
नहीं जाने पहले खुद ना निकल कर सभी यात्रियों को इमरजेंसी द्वार से बाहर निकाल दिया और सबको हिम्मत बनाए रखने की सलाह दी. जहां लोग खतरा देकर अपनी जान को बचाने की सबसे पहले कोशिश करते हैं वहीं ले जाने यात्रियों को सही सलामत बाहर निकालने मेरी जान की बाजी लगा दी.
हालांकि मिर्जा ने सभी यात्रियों को सही तरीके से बाहर निकाल दिया परंतु , तीन बच्चे उसी फ्लाइट में रह गए. नीरजा उन्हें बचाने के लिए जब दोबारा अंदर गई तो एक आतंकवादी की नजर उस पर पड़ गई और उसने निरजा पर बंदूक तान दी. नीरजा ने बड़ी बहादुरी से उस आतंकवादी के साथ मुकाबला किया परंतु इसी झड़प के दौरान उसकी जान चली गई.
नीरजा के इस कारनामे के बाद पूरी दुनिया में मिर्जा की एक अलग पहचान बन गई और उसे हाईजेक क्वीन के नाम से बुलाया जाना लगा.
नीरजा की मृत्यु के बाद भारतीय सरकार ने उन्हें एक शहीद की तरह सम्मान दिया और उनके नाम से पैन एयरलाइंस की एक संस्था भी बनाई जहां हर साल बहादुरी के काम करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है.
निजा एकमात्र ऐसी लड़की थी जिसे मैं अपनी बहादुरी के लिए जाना जाता है साथ ही वह सबसे छोटी उम्र की ऐसी लड़की थी जिन्होंने अशोक चक्र हासिल किया था.