पीएम मोदी का बड़ा वादा ‘अब किसी भारतीय को नहीं छोड़ना पड़ेगा देश’, जानिये क्या है पूरा मामला?

असम में जारी एनआरसी के मुद्दे पर लगातार जुबानी जंग हो रही है। ऐसे में  असम मं राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से शुरू हुई बात काफी आगे निकल चुकी है। इस मसले पर उपजा विवाद कम होने का नाम ही नहीं  ले रहा है। कुछ दिन पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल में हुए अपनी एक रैली में कहा था कि ममता बनर्जी घुसपैठियों को बंगाल और असम में रखना चाहती हैंं और इसका प्रयोग ममता वोट बैंक के रूप में कर रही हैं। भाजपा के कई नेता एनआरसी के मुद्दे पर अपनी पीठ थपथपा चुके हैं और अमित शाह पहले भी कह चुके हैं कि हम किसी भी घुसपैठिये को नहीं छोड़ेगें। इस पर आज ममता बनर्जी का बयान आया है कि जिनके नाम एनआरसी में ंनहीं हैं उन पर जबरन केस चलाया जा रहा है और कहा कि लोगों को उनके भाषा के आधार पर बाहर किया जा रहा है। और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।

 

बता दें कि एनआरसी असम में घुसपैठियों के पहचान के लिए बना है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जब तक अंतिम लिस्ट नहीं बन जाती तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।  विवाद तब शुरू हुआ जब एनआरसी के बाद पता चला कि जिन 40 लाख लोगों के नाम एनआरसी में नहीं है वो पिछले कई दशकों से भारत में रह रहे हैं। और उसमें बीजेपी के नेताओं ने दावा करना शुरू कर दिया कि ये घुसपैठिए हैं। इसके बाद से विवाद और गर्माया गया है। और कहा जाने लगा कि 2019 के बाद पूरे देश में एनआरसी का फॉर्मूला लगाया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने क्या कहा- हाल ही में हुए प्रधानमंत्री ने एनआई के साथ इंटरव्यू में कहा है कि किसी भी भारतीय को देश छोड़ना नहीं पड़ेगा प्रक्रियाओं का पालन करते हुए सभी चिंताओं को दूर करने का अवसर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा है कि एनआरसी हमारा वादा है जिसे हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार पूरा कर रहे हैं। यह राजनीति नहीं  बल्कि लोगों  के बारे में है इस पर अगर राजनीति हो रही है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

देश भर में शरणार्थियों और घुसपैठियोें को लेकर बीजेपी ने लगातार मुद्दे उठाए हैं अब इस पर घोर राजनीति की जा रही है और यह माहौल अब गर्माना शुरू हो गया है। बांग्लादेश से बंगाल और असम में घुसपैठ को  लेकर बीजेपी कई सालों से लगातार आरोप लगाताी आ रही है। ऐसे में विरोधी पार्टियां कह रही हैं कि इसे बीजेपी अपना चुनावी मुद्दा बनाएगी और इसका फायदा उठाने की कोशिश की जाएगी। तो क्या सचमुच बीजेपी ऐसा करने जा रही है? यह एक सवाल इसलिए भी लगातार उठाया जा रहा है क्योंकि ज्ञात हो कि असम में बीजेपी का शासन है और उसकी सहयोगी पार्टियां ही इसके खिलाफ बोल रही हैं।

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